About

Hey there, I am Arjun. Welcome to my webpage. (more)


Latest thoughts

May. 28, 2024
सन २०२४ : कुत्ते विवाद से डरने लगे हैं। आप किस कुत्ते के पक्ष में हैं ?

Feb. 24, 2024
दिखावटी बाज़ार जहाँ दिखावटी तंग गालिया है, जहा टकराते छज्जो के बीच की दरार से सूरज की झलक मिलती है वहां जाते है दिखावटी लोग अपने दिखावटी सामन लेने। दिखावट के दिल्ली वाले बनने। ये “aesthetic” लोग कभी अपने गुड़िया घरो से निकल के असली शहर देखें……

Jan. 26, 2024
सन २०२४ : सभी कुत्ते कोट पेहेन्ने लगे है।

Latest posts

May. 4, 2025

CPT

An entry from my journal, written in a midnight writers unblock initiated by Sarveshwar Dayal Saxena and fueled by Mishima कल पेपर है। और कल चंद मिनटों में आ जाएगा। पता नहीं कैसे गुज़र गया दिन पूरा। अधनंगा बैठा था अंधेरे में, तो पिछले कमरे की दीवार से धप की आवाज़ आई। मुझे लगा कोई है, तो बड़े दरवाज़े का मुआइना किया। हवा के दबाव में कुछ परिवर्तित सा था। दरवाज़े के क़रीब एक हवा का बहाव था जो नहीं होना चाहिए था। परदों के बीच की दरार से झांका, तो बाहर पौधे हिल रहे थे। हवा चल रही थी। मैंने परदे खोले, जाली खोली। आख़िर दरवाज़े का भिड़ना हवा के दबाव में बदलाव के कारण था।

Jun. 28, 2024

Unregulated

I like to support the untaxed, unregulated part of the economy. I don’t haggle with Rikshawalas. They aren’t technically unregulated, they are self regulating. They are perfect order within the lack of order. Nobody decided their prices, nobody made their laws. They operate a thin plane above supply and demand. Ethics and regulations when they exist are based on their morality. They have license plates, but who’s checking ?! Even when anarchy befalls, banks, governments and their issued tokens become obsolete I bet Rikshawalas would still be roaming on their screeching whining rikshaws, charged with stolen electricity.

Jan. 2, 2024

चर्चा

बात होती है तो केवल उसकी जो स्पष्ट रूप से सभी की इंद्रियों में पंजिकृत (बहतर शब्द की गैर मौजूदगी में।) हो। तापमान, वायु का रुख, कुत्तों का भौंकना, विविद्ध प्रकार की गंधें वगैरा इस वार्तालाप के लिए उत्तम विष्य हैं। अपने निजी दर्षन इस चर्चा में न ही लायें तो अच्छा है। मालूम नहीं कब कोई छोटी सी टिप्पणी या राय आऐगी और माहौल को एक तनाव से भर देगी। एसा तनाव जो स्वयं को शंका के घेरे में दाल देगा, कि कहीं आप ही तो किसी प्रकार के अधर्मी नहीं?

Latest photos

image.jpg image.jpg image.jpg